आकाश नाम की स्वदेश में निर्मित पहली मिसाइल सुरक्षा प्रणाली मार्च 2011 तक तैनात हो जाएगी। इसका पहला स्क्वाड्रन ग्वालियर के वायुसेना अड्डे पर तैनात होगा जहां हमारे मिराज-2000 विमानों का बेड़ा मौजूद है। दिसंबर 20१1 तक आकाश का दूसरा स्क्वाड्रन पुणो में तैनात होगा जहां हमारे सुखोई विमानों का बेड़ा तैनात है।
प्रत्येक स्क्वाड्रन 700 करोड़ रुपए का पड़ेगा जो विदेशों से आयात किए जाने वाले सिस्टम से न सिर्फ बहुत सस्ता है बल्कि कल-पुर्जे देशी होने से इसका मेंटेनेंस भी आसान होगा। इसे डीआरडीओ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने विकसित किया है।
आकाश मिसाइल का दिल इसका रोहिणी नामक राडार है। यह 120 किमी की दूरी से ही हमलावर मिसाइल या विमान की पहचान कर लेगा। इसकी सूचना यह आकाश मिसाइल के हेडक्वार्टर तक पहुंचाएगा, जिसके बाद आकाश उचित कार्रवाई करेगा।
यह प्रणाली 15 किमी प्रति मिनट की गति से आ रहे दुश्मन के विमान को 25 किमी दूरी से मार गिरा सकती है। इसी तरह यह मिसाइलों के खिलाफ भी पुख्ता सुरक्षा देगी Dainik Bhaskar
प्रत्येक स्क्वाड्रन 700 करोड़ रुपए का पड़ेगा जो विदेशों से आयात किए जाने वाले सिस्टम से न सिर्फ बहुत सस्ता है बल्कि कल-पुर्जे देशी होने से इसका मेंटेनेंस भी आसान होगा। इसे डीआरडीओ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने विकसित किया है।
आकाश मिसाइल का दिल इसका रोहिणी नामक राडार है। यह 120 किमी की दूरी से ही हमलावर मिसाइल या विमान की पहचान कर लेगा। इसकी सूचना यह आकाश मिसाइल के हेडक्वार्टर तक पहुंचाएगा, जिसके बाद आकाश उचित कार्रवाई करेगा।
यह प्रणाली 15 किमी प्रति मिनट की गति से आ रहे दुश्मन के विमान को 25 किमी दूरी से मार गिरा सकती है। इसी तरह यह मिसाइलों के खिलाफ भी पुख्ता सुरक्षा देगी Dainik Bhaskar
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