चीन के डर से सतर्क हुआ जापान
चीन की बढ़ती सामरिक ताकत के ख़तरे से निपटने और देश के दक्षिणी छोर पर सैन्य मौजूदगी को बढ़ाने के उद्देश्य से जापान ने अपनी राष्ट्रीय रक्षा नीति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं.
समुद्री छोर पर चीन को जापान से अलग करने वाली सरहद पर भी सैन्य ताक़त में बदलाव के संकेत दिए गए हैं.
जापान का कहना है कि चीन की बढ़ती सामरिक ताकत विश्व के लिए चिंता का विषय है.
परमाणु ताकत से लैस उत्तर कोरिया से बचाव के लिए जापान ने अपने मिसाइल तंत्र को भी मज़बूत बनाने का फ़ैसला किया है.
रक्षा नीति में किए गए इन बदलावों पर जापान की संसद मुहर लगा चुकी है. इन बदलावों के आधार पर अगले 10 साल के लिए जापान की रक्षा नीति का ढांचा तैयार किया जाएगा.
जानकारों का कहना है कि एशियाई देशों की सामरिक ताकत के बदलते समीकरणों को देखते हुए जापान ने अपनी रक्षा नीति में ये बदलाव किए हैं.
चीन की बढ़ती पैठ
जापान अपनी सेना को नई तकनीकों से लैस करेगा और पड़ोसी इलाकों खासकर समुद्री क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ाएगा.
नई रक्षा नीति
शीत-युद्ध के दौरान रुस के ख़तरे से निपटने के लिए जापान के उत्तरी हिस्से में सैन्य मौजूदगी बढ़ाई गई थी. नई रक्षा नीति के अनुसार इस इलाके से अब सेना को हटाने की प्रक्रिया शुरु की जाएगी.
इसके बदले सेना की नज़र चीन के नज़दीक पड़ने वाले जापान के सुदूर दक्षिणी द्वीपों पर रहेगी.
चीन की नौसेना के मज़बूत होने और पूर्वी-दक्षिणी समुद्री इलाकों में चीन की बढ़ती पैठ ने जापान के लिए चिंता बढ़ा दी है.
नई रक्षा नीति के अनुसार, '' जापान अपनी सेना को नई तकनीकों से लैस करेगा और पड़ोसी इलाकों खासकर समुद्री क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ाएगा. ''
सितंबर 2010 में दोनों देशों के बीच मौजूद विवादित क्षेत्र में चीन की एक नाव और जापान के निगरानी दल की एक नाव के टकराने के बाद चीन और जापान के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है.
टोक्यो में मौजूद बीबीसी संवाददाता रोलैंड बर्क का कहना है कि जापान की सामरिक नीति के इन बदलावों पर एशियाई देशों की लगातार नज़र रहेगी.
जापान के संविधान के अनुसार उसे सैन्य हमले की पहल करने की इजाज़त नहीं है.
bbc hindi
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