नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस में विदेशी जासूस की घुसपैठ हो चुकी है। ऐसा दावा अमेरिकी राजनयिक ने एक केबल में किया था। यह बात विकीलीक्स के नए खुलासे में सामने आई है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस खुलासे को खारिज कर दिया है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि उनका किसी भी विदेशी एजेंट से किसी तरह का नाता नहीं रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मन में एक किताब लिखने की बात है। इसमें वह 2004 के आम चुनावों में जीत हासिल करने के बाद आए तनाव से भरे उस वक्त का जिक्र करेंगी जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद ठुकराकर मनमोहन सिंह के हाथों में देश की बागडोर सौंप दी थी। विकिलीक्स की ओर से जारी अमेरिकी केबल सार्वजनिक होने के बाद यह बात सामने आई है।
इसके मुताबिक, लोग बार-बार सोनिया से इस बारे में पूछते हैं। इसलिए उन्होंने किताब लिख कर स्थिति साफ करने का मन बनाया है। सोनिया ने 2006 में नई दिल्ली आई कैलिफोर्निया की प्रथम महिला मारिया श्राइवर से बातचीत में यह बताया था। वर्ष 2006 में भेजे गए केबल में सोनिया और कैलिफोर्निया के गवर्नर आर्नोल्ड श्वारजेनेगर की पत्नी मारिया के बीच हुई बातचीत का विवरण है।
सोनिया अक्षम, राहुल उभरते हुए नेता
भारत की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को लेकर अमेरिका की मिलीजुली राय है। जहां एक ओर अमेरिका ने परमाणु करार मुद्दे पर लेफ्ट पार्टियों के विरोध का सामना नहीं कर पाने के लिए सोनिया गांधी की आलोचना की थी, वहीं राहुल गांधी को लेकर अमेरिकी की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही।
नवंबर, २००७ में नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से वॉशिंगटन भेजे गए गुप्त राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसे वक्त में जब विदेश में भारत की साख पर सवाल है, ऐसे में सोनिया गांधी नेतृत्व नहीं कर पा रही हैं जबकि ऐसा करने पर उन्हें चुनाव में भी फायदा हो सकता है। वहीं, इन दस्तावेजों में भारत के वामपंथी नेताओं की आलोचना की गई है। सीपीएम महासचिव प्रकाश करात को इन दस्तावेजों में 'उगाही' करने वाला बताया गया है।
राहुल गांधी के करियर और उनकी क्षमता का आकलन करते हुए १९ फरवरी, २०१० को वॉशिंगटन भेजे गए गुप्त दस्तावेज में राहुल गांधी की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनका फोकस नहीं है और दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहर उनकी रणनीति का हिस्सा नहीं हैं। दस्तावेज के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने गांवों और कस्बों में पार्टी को मजबूत करने की रणनीति बनाई थी। दस्तावेज के मुताबिक राहुल गांधी को लगा कि मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इन इलाकों में कमजोर होगी।
वहीं, एक अन्य दस्तावेज में अमेठी से कांग्रेस के 40 साल के सांसद राहुल की तारीफ भी की गई है। इस गुप्त राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि राहुल गांधी भारतीय राजनीति में अपने पांव जमाते जा रहे हैं। इस दस्तावेज में राहुल गांधी की मुंबई यात्रा के बारे में जिक्र करते हुए कहा गया है, 'उन्होंने पहले शिवसेना की तीखी आलोचना की। राहुल के बयान से बौखलायी शिवसेना ने राहुल को महाराष्ट्र आने की चुनौती दी। राहुल ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए मुंबई की यात्रा की और अपने तय कार्यक्रम में आखिरी लम्हे में फेरबदल कर मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर किया और आम लोगों से मिले।'
इसके मुताबिक, लोग बार-बार सोनिया से इस बारे में पूछते हैं। इसलिए उन्होंने किताब लिख कर स्थिति साफ करने का मन बनाया है। सोनिया ने 2006 में नई दिल्ली आई कैलिफोर्निया की प्रथम महिला मारिया श्राइवर से बातचीत में यह बताया था। वर्ष 2006 में भेजे गए केबल में सोनिया और कैलिफोर्निया के गवर्नर आर्नोल्ड श्वारजेनेगर की पत्नी मारिया के बीच हुई बातचीत का विवरण है।
सोनिया अक्षम, राहुल उभरते हुए नेता
भारत की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को लेकर अमेरिका की मिलीजुली राय है। जहां एक ओर अमेरिका ने परमाणु करार मुद्दे पर लेफ्ट पार्टियों के विरोध का सामना नहीं कर पाने के लिए सोनिया गांधी की आलोचना की थी, वहीं राहुल गांधी को लेकर अमेरिकी की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही।
नवंबर, २००७ में नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास से वॉशिंगटन भेजे गए गुप्त राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि ऐसे वक्त में जब विदेश में भारत की साख पर सवाल है, ऐसे में सोनिया गांधी नेतृत्व नहीं कर पा रही हैं जबकि ऐसा करने पर उन्हें चुनाव में भी फायदा हो सकता है। वहीं, इन दस्तावेजों में भारत के वामपंथी नेताओं की आलोचना की गई है। सीपीएम महासचिव प्रकाश करात को इन दस्तावेजों में 'उगाही' करने वाला बताया गया है।
राहुल गांधी के करियर और उनकी क्षमता का आकलन करते हुए १९ फरवरी, २०१० को वॉशिंगटन भेजे गए गुप्त दस्तावेज में राहुल गांधी की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनका फोकस नहीं है और दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहर उनकी रणनीति का हिस्सा नहीं हैं। दस्तावेज के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य विधानसभा चुनावों में राहुल गांधी ने गांवों और कस्बों में पार्टी को मजबूत करने की रणनीति बनाई थी। दस्तावेज के मुताबिक राहुल गांधी को लगा कि मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इन इलाकों में कमजोर होगी।
वहीं, एक अन्य दस्तावेज में अमेठी से कांग्रेस के 40 साल के सांसद राहुल की तारीफ भी की गई है। इस गुप्त राजनयिक दस्तावेज में कहा गया है कि राहुल गांधी भारतीय राजनीति में अपने पांव जमाते जा रहे हैं। इस दस्तावेज में राहुल गांधी की मुंबई यात्रा के बारे में जिक्र करते हुए कहा गया है, 'उन्होंने पहले शिवसेना की तीखी आलोचना की। राहुल के बयान से बौखलायी शिवसेना ने राहुल को महाराष्ट्र आने की चुनौती दी। राहुल ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए मुंबई की यात्रा की और अपने तय कार्यक्रम में आखिरी लम्हे में फेरबदल कर मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर किया और आम लोगों से मिले।'
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