Thursday, January 6, 2011

Telangana

नई दिल्ली. आंध्र प्रदेश को बांटकर पृथक तेलंगाना प्रदेश बनाने की मांग करीब 50 साल पुरानी है। सबसे पहले यह मांग 1960 में उठी और उसके बाद से बातचीत और हिंसा का दौर जारी है, लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकला है। 

आंध्र प्रदेश में 23 जिले हैं और इसमें से 10 जिले अलग कर तेलंगाना बनाने की मांग की जा रही है। तेलंगाना मूलतः हैदराबाद के निजाम के शासन का हिस्सा था। लेकिन 1948 में निजाम का शासन खत्म हो गया और अलग हैदराबाद प्रदेश का गठन हुआ। तेलंगाना भी हैदराबाद में शामिल किया गया। 

लेकिन पोट्टि श्रीरामुलु ने आंध्र प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग उठाई और प्रदेश में आंदोलन छेड़ दिया। इसके बाद 1956 में आंध्र प्रदेश बना और हैदराबाद प्रदेश के तेलंगाना का हिस्सा नए प्रदेश में मिला दिया गया। आंध्र प्रदेश मद्रास प्रेसिडेंसी से काटकर बनाया गया था। 

हालांकि तेलंगाना के लोग तभी से आंध्र प्रदेश में विलय के विरोधी थे। तेलंगाना निवासियों का मानना था कि आंध्र प्रदेश में विलय से उनका विकास अवरुद्ध हो जाएगा। कुछ सालों तक शांत रहने के बाद तेलंगाना के निवासियों ने अलग प्रदेश की मांग उठाई। 1969 में एम चेन्ना रेड्डी के नेतृत्व में अलग प्रदेश की मांग को लेकर काफी बड़ा आंदोलन हुआ। आंदोलन के दौरान हिंसा होने पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें 350 से ज्यादा लोग मारे गए। 

हालांकि आंदोलन को आम जनता का काफी समर्थन मिल रहा था, लेकिन चेन्ना रेड्डी ने अपनी पार्टी तेलंगाना प्रजा समिति का कांग्रेस में विलय कर दिया और इसके एवज में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। 2001 में इस आंदोलन ने फिर जोर पकड़ा। तेलगु देशम के नेता के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन किया। 

2004 में टीआरएस और कांग्रेस के बीच चुनावी तालमेल हुआ। दोनों पार्टियों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिल कर लड़ा। टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए, लेकिन जब कांग्रेस ने अलग तेलंगाना राज्य की मांग पर कोई निर्णय नहीं लिया, तो उन्होंने मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। आंध्र प्रदेश में भी उन्होंने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

तभी से राव पृथक राज्य की मांग को लेकर आंदोलन छेड़े हुए हैं। टीआरएस नेता पृथक राज्य की मांग के समर्थन में दबाव बनाने के लिए, लोकसभा और विधानसभा से इस्तीफा देकर फिर चुनाव लड़े और जीते हैं


Dainik Bhaskar

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